वानखेड़े स्टेडियम में सचिन के स्टैच्यू का इनॉगरेशन, यही पर खेला था आखिरी मैच

मुंबई। क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) ने बुधवार 1 अक्टूबर को वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर के स्टैच्यू का इनॉगरेशन किया। सेरेमनी शाम 5:00 बजे हुई। सचिन की प्रतिमा स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर स्टैंड के पास लगाई गई है। यह प्रतिमा उनके जीवन के 50 वर्षों को समर्पित है। इस साल अप्रैल में सचिन ने अपना 50वां जन्मदिन मनाया था।

अनावरण समारोह में सचिन तेंदुलकर के अलावा BCCI सचिव जय शाह, BCCI उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और NCP नेता शरद पवार भी मौजूद रहे। दो दशकों के सफल करियर के बाद सचिन ने नवंबर 2013 में वानखेड़े स्टेडियम में ही अपना 200वां और अंतिम टेस्ट खेला था।

मैंने अपना पहला रणजी मैच यहीं खेला- सचिन

स्टैच्यू बनने की बात पर सचिन तेंदुलकर ने इस साल मार्च में कहा था, ‘मुझे बहुत खुशी हो रही है। 1988 में वानखेड़े में यह सब शुरू हुआ। यहीं मैंने अपना पहला रणजी मैच खेला। मेरे प्रोफेशनल प्लेयर बनने से पहले यहीं पर कोच आचरेकर सर ने मुझे फटकार लगाई थी और उसके बाद से मैं एक सीरियस क्रिकेटर बन गया। ये मेरे लिए बहुत खास जगह है, इस जगह से मेरी बहुत ही खास यादें जुड़ी हुई हैं। वानखेड़े स्टेडियम में मेरा स्टैच्यू बनना बहुत बड़ी बात है।’

वानखेड़े स्टेडियम में हुआ था 2011 वर्ल्ड कप फाइनल

2011 वनडे वर्ल्ड कप का फाइनल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ही खेला गया था। यहां भारत ने श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद वर्ल्ड कप अपने नाम किया। भारत पहली ऐसी मेजबान टीम बनी थी, जिसने वर्ल्ड कप जीता था। इससे पहले किसी टीम ने अपनी जमीन पर वर्ल्ड कप नहीं जीता था। इसके साथ ही सचिन तेंदुलकर का वर्ल्ड कप जीतने का सपना भी पूरा हुआ था।

सीके नायडू के बाद दूसरी बार किसी भारतीय प्लेयर का स्टैच्यू लगेगा

सचिन भारत के दूसरे क्रिकेटर हैं जिनका स्टैच्यू स्टेडियम में लगा है। अब तक सिर्फ पूर्व भारतीय कप्तान कर्नल सीके नायडू के ही तीन अलग-अलग जगह स्टैच्यू लगे हैं। इनमें इंदौर का होलकर स्टेडियम, नागपुर का विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन (VCA) स्टेडियम और आंध्र का YSR स्टेडियम शामिल है।

चिन्नास्वामी स्टेडियम में राहुल द्रविड़ के नाम पर भी है एक दीवार

भारत के पूर्व बल्लेबाज राहुल द्रविड़ के नाम भी बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक दीवार है। जिस पर तीन शब्द ‘कमिटमेंट, क्लास और कंसिस्टेंसी’ लिखे हैं। ये तीनों शब्द राहुल द्रविड़ की पर्सनैलिटी को बखूबी बयां करते हैं। द्रविड को ‘द वॉल’ यानी बेस्ट डिफेंसिव प्लेयर की उपाधि भी मिल चुकी है।

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