कठुआ रेप और हत्या कांड : पुजारी समेत 6 आरोपी दोषी करार, 1 बरी

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में आज पठानकोट कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पुजारी समेत 6 आरोपियों को दोषी करार दिया। जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट सोमवार को 7 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई कर रही है। दोपहर 2 बजे दोषियों को सजा सुनाई जा सकती है। अदालत ने ग्राम प्रधान सांजी राम, परवेश कुमार, दो विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया, सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता को दोषी ठहराया है। पीड़िता परिवार के वकील एडवोकेट मुबीन फारूकी ने कहा, ‘पठानकोट अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्तियों में सांजी राम, आनंद दत्ता, परवेश कुमार, दीपक खजुरिया, सुरेंद्र वर्मा और तिलक राज हैं। विशाल पर फैसला आना बाकी है।’ फैसले के मद्देनजर काठुआ में सुरक्षा बढ़ाई गई।

जानकारी के लिए बताते चले बंजारा मुस्लिम जनजाति से संबंधित 8 साल की मासूम बच्ची का पिछले साल जनवरी में अपहरण कर, सामूहिक बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी। चार्जशीट के मुताबिक, सांझी राम पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड था। अपहरण के बाद बच्ची को उसकी देखरेख वाले मंदिर में रखा गया था। कोर्ट ने तीन पुलिस अफसर दीपक खजूरिया, सुरेंद्र वर्मा और अरविंद दत्ता, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार उर्फ मन्नू को दोषी करार दिया। जबकि सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया गया।

बताते चले कठुआ मामला जब सामने आया था तो देश ही नहीं दुनिया में इसने सुर्खियां बटोरी थीं। आम आदमी से लेकर बॉलीवुड के सेलेब्रिटी भी इंसाफ की गुहार लगा रहे थे. इस मामले में पुलिस ने कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक को नाबालिग बताया गया। हालांकि, मेडिकल परीक्षण से यह भी सामने आया कि नाबालिग आरोपी 19 साल का है। पूरी वारदात के मुख्य आरोपी ने खुद ही सरेंडर कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केस ट्रांसफर हुआ था

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कठुआ केस को जम्मू-कश्मीर से बाहर पठानकोट की फास्ट ट्रैक कोर्ट ट्रांसफर किया था। कठुआ में पिछले साल 10 जनवरी को बच्ची लापता हो गई थी, बाद में उसका शव क्षत-विक्षत हालत में जंगल से बरामद हुआ था। आरोप है कि उसे यहां के एक मंदिर में बंधक बना कर रखा गया और कई दिनों तक दरिंगदी की गई।

दोषी हुए तो फांसी की सजा संभव
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी 120बी (आपराधिक साजिश) 302 (हत्या) और 376डी (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत केस दर्ज किया था। कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर अपराध साबित हुआ तो आरोपियों को कम से कम उम्रकैद और अधिकतम फांसी की सजा सुनाई जा सकती है।

हैवानियत को पार करने वाली थी घटना

कठुआ रेप की घटना 10 जनवरी को हुई थी. परिवार के मुताबिक, बच्ची 10 जनवरी को दोपहर में घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी और उसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी थी। करीब एक हफ्ते बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली थी। मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि बच्ची के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार हुआ है और पत्थरों से मारकर उसकी हत्या की गई है। उसके बाद बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या पर देशभर में काफी बवाल मचा था।

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