लखीमपुर : नगर निकाय चुनाव के बाद सहकारिता के मतदान का बजा बिगुल

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश की सभी जिला सहकारी बैंकों में से चंद जिलो को छोड़कर चल रहे संचालक मंडल का कार्यकाल पूर्ण होने के फलस्वरूप जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला सहायक निबंधक का संचालक मंडल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। किसान सहकारी समितियों से जिला सहकारी बैंक की राजनीति साधी जा रही है। अभी से सभी 130 समितियों पर कब्जे के लिए सियासी घेराबंदी शुरू कर दी है। साथ ही निष्क्रिय समितियों में भी जान फूंकने की कोशिश की जा रही है।

समितियों के चुनावों में भाजपा पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है। बूथ अध्यक्ष से लेकर जिलास्तरीय पदाधिकारियों के कंधे पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। बैंक बोर्ड में शामिल होने के इच्छुक किसान नेताओं ने समितियों में गोटियां बिछानी शुरू कर दी है। दरअसल समिति से चुनकर आने वाले डेलीगेट ही सहकारी बैंक के संचालक मंडल का भविष्य तय करेंगे। उधर समितियों में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

जिले की 132 सहकारी समितियों में से चुनकर आने वाले डेलीगेट तय करेंगे बैंक बोर्ड का भविष्य

वहीं जिले में सहकारी संस्थाओं के चुनाव का बिगुल बज चुका है। पहले चरण में किसान सहकारी समितियों में संचालक और सभापति पद के लिए चुनाव हो चुके है। संचालक पद के चुनाव के बाद सभापति चुने गए। साथ ही इन समितियों से सहकारी की अलग-अलग संस्थाओं के लिए सदस्य भी भेजे जाने हैं तथा कुछ के द्वारा भेजे भी जा चुके है। एक सहकारी समिति से करीब दो सदस्यों को सहकारी बैंक के लिए चुना जाता है। ये सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में जिला सहकारी बैंक के संचालकों का चुनाव करेंगे।

बता दें कि जिला सहकारी बैंक के बोर्ड का चुनाव जिले की राजनीति में अहम होता है। हालांकि बैंक के बोर्ड पर कौन काबिज होगा, यह तो समय ही तय करेगा लेकिन गोटियां बिछनी शुरू हो गई। बैंक के बोर्ड का चुनाव लड़ने के इच्छुक किसान नेताओं ने अपने अपने क्षेत्र में समितियों पर समर्थकों को उतार कर दिया है। जिससे उन्हें बैंक सदस्यों के वोट आसानी से मिल सकें। भारतीय संविधान के 97वें संषोधन के सुसंगत उत्तर प्रदेष राज्य ने उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-13/2013 जो दिनांक 15 फरवरी 2013 से प्रभावी है के द्वारा उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 में महत्वपूर्ण संशोधन किये गये।

वहीं जिसके अन्तर्गत सहकारी समितियों की प्रबन्ध कमेटी में लोकत्रांत्रिक स्वरूप और आरक्षण मानक सुनिश्चित करते हुए सहकारी प्रबन्ध समिति का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया और सहकारी समितियों की प्रबन्ध समिति के निर्वाचन की व्यवस्था के अन्तर्गत धारा 29(3) में संशोधन करके प्रत्येक सहकारी समिति की प्रबन्ध समिति का पुनर्गठन करने के लिए निर्वाचन, उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी समिति निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, नियंत्रण और निर्दे शोके अधीन विहित रीति से करने की व्यवस्था की गयी। राज्य सहकारी निर्वाचन आयोगदस विभागों यथा सहकारिता, दुग्ध, गन्ना आवास, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, मत्स्य, रेशम, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग एवं खादीएवं ग्रामोद्योग में पंजीकृत सहकारी समितियों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सम्पन्न कराने के लिए सदैव तत्पर, प्रयासरत एवं दृढ़संकल्प है।

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