जश्न-ए-आजादी के बीच गम के डूबा शहीद पुष्पेंद्र का परिवार….

मथुरा: कुपवाड़ा के तंगधार सेक्टर में आतंकियों से लोहा लेते समय शहीद हुए मथुरा के खुटिया गांव के पुष्पेंद्र सिंह की बीती शाम पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई. उनके पार्थिव शरीर को उनके सात माह के इकलौते पुत्र ने ताऊ के सहयोग से मुखाग्नि दी. परिजनों के अनुसार जब वह पिछली बार घर से गए थे तो कहकर गए थे कि अगर मैं कभी तिरंगे में लिपटा आऊं, तो उदास न होना. देश को मेरी जरूरत है.’ जब पूरा देश जश्ने आजादी में डूबा हुआ है, वहीं, मथुरा के पुष्पेंद्र का गांव और परिवार शोक में डूबा हुआ है.

मंगलवार शाम गांव पहुंचा शव
बता दें कि यूपी के मथुरा के सौंख कस्बे के निकट स्थित खुटिया गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र सिंह (27) रविवार-सोमवार की मध्य रात जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जनपद में तंगधार इलाके में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादियों को खदेड़ने के प्रयास में शहीद हो गए थे. मंगलवार देर शाम को उनका शव गांव लाया गया. इस मौके पर राज्य सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण, डीएम सर्वज्ञराम मिश्रा तथा एसएसपी बबलू कुमार आदि ने शहीद के शव पर पुष्पचक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी. डीएम ने राज्य सरकार की ओर से शहीद की विधवा सुधा सिंह को 20 लाख रुपए तथा पिता तेज सिंह को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता के चेक भेंट किए.

‘जब तक सूरज-चांद रहेगा, पुष्पेंद्र तेरा नाम रहेगा’ का गूंजा नारा
अंत्येष्टि स्थल पर आसपास के गांवों के हजारों ग्रामीण उपस्थित थे. शहीद का पार्थिव शरीर ले कर जैसे ही सेना की गाड़ी वहां पहुंची चारों तरफ से ‘पुष्पेंद्र जिंदाबाद’ और ‘जब तक सूरज-चांद रहेगा, पुष्पेंद्र तेरा नाम रहेगा’ जैसे नारे गूंजने लगे. शहीद-पत्नी ने भी उनके पैर छूने के बाद मुट्ठी भींचकर ‘पुष्पेंद्र जिंदाबाद’ का नारा लगाया. और फिर, उनकी रुलाई फूट पड़ी.

परिजन बोले- एक-एक शहादत का बदला ले सरकार
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को एक-एक जवान की शहादत का बदला लेना चाहिए. इस प्रकार रोज-रोज अपने सैनिकों की बलि चढ़ाए जाने के बजाए पाकिस्तान पर एक साथ धावा बोलकर हमेशा के लिए उसे सबक सिखा देना चाहिए. उन्होंने बताया कि पुष्पेंद्र मई माह में छुट्टियों पर आए थे और 26 मई को ही वापस लौट गए थे. ऐसा लगता है कि उन्हें शायद उन्हें अपनी शहादत का आभास हो गया था. इसीलिए उन्होंने वापस जाते समय कहा था- ‘अगर कभी मैं तिरंगे में लिपटा आऊं, तो बिल्कुल भी शोक मत करना. देश को मेरी जरूरत है. इसलिए जल्दी जाना पड़ेगा. मेरा सौभाग्य होगा यदि मैं देश के काम आ सका.’

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