माया ने SC में राम से लेकर वाजपेयी तक की मूर्तियों का दिया हवाला..

नई दिल्ली । बहुजन समाज पार्टी(बसपा) प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री रहते उत्तर प्रदेश में बनी अपनी मूर्तियों को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। मायावती ने अपने जवाब में कहा है कि उनकी मूर्तियां लगे, ये जनभावना थी। जवाब में कहा गया है कि मूर्तियां लगवाना बसपा संस्थापक कांशीराम की इच्छा थी। दलित आंदोउन के योगदान के चलते मूर्तियां लगवाई गईं।

पिछले 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए। याचिका रविकांत ने दायर की थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा था कि आप अपने मुवक्किल को कह दीजिए कि मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे की जानकारी मांगी थी। मायावती ने अपने शासनकाल में कई पार्कों का निर्माण करवाया था। इन पार्कों में बसपा के संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। ये पार्क लखनऊ, नोएडा समेत अन्य शहरों में बनवाए गए थे।

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष ने उल्टा सवाल दागते हुए पूछा कि अयोध्या में भगवान राम की प्रस्तावित 221 मीटर ऊंची मूर्ति का ऐसा ही विरोध क्यों नहीं हो रहा है?  बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष ने उल्टा सवाल दागते हुए पूछा कि अयोध्या में भगवान राम की प्रस्तावित 221 मीटर ऊंची मूर्ति का ऐसा ही विरोध क्यों नहीं हो रहा है?

नेहरू से नरसिम्हा राव तक का जिक्र
सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में मायावती ने कहा कि देश में मूर्तियां लगाने की पुरानी परंपरा रही है। उन्होंने अपने वकील शैल द्विवेदी के मार्फत सर्वोच्च अदालत से कहा, ‘भारत में स्मारिकाएं बनवाना और मूर्तियां लगवाना कोई नया फलसफा नहीं है। कांग्रेस के शासन काल में केंद्र और राज्य सरकारों ने देशभर में सरकारी खजाने से जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी वी नरसिम्हा राव की मूर्तियां लगवाईं। लेकिन, इन मूर्तियों को लेकर न तो मीडिया और न ही याचिकाकर्ता ने कोई सवाल उठाया।’

भगवान राम, शिवाजी, पटेल की मूर्तियां क्यों?
मायावती ने इसी क्रम में गुजरात सरकार द्वारा 3,000 करोड़ रुपये की लागत से सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति और मुंबई में शिवाजी महाराज की मूर्तियों का भी जिक्र किया। साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी भगवान राम की मूर्ति बनाने की योजना पर आगे बढ़ रही है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण, डिजाइन डिवेलपमेंट और प्रॉजेक्ट रिपोर्ट आदि पर 200 करोड़ रुपये की शुरुआती लागत आएगी।

वाजपेयी से लेकर जयललिता का भी जिक्र
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी, संयुक्त आंध्र प्रदेश में वाई एस राजशेखर रेड्डी की मूर्तियों के अलावा कर्नाटक के मांड्या में मां कावेरी की प्रस्तावित 350 फीट ऊंची मूर्ति, अमरावती में 155 करोड़ रुपये की एनटी रामाराव की मूर्ति और चेन्नै के मरीन बीच पर 50 करोड़ रुपये की जे. जयललिता की मूर्ति का भी जिक्र किया।

जनसेवा के लिए कुंवारी रही: मायावती
उन्होंने कहा कि आम जनता की सेवा के लिए वह अविवाहित रहीं और दलित उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। बदले में लोगों का जो प्यार मिला और उनकी जो इच्छा थी, उसी से प्रेरित होकर राज्य विधानसभा को स्मारिकाओं एवं मूर्तियों के लिए बजटीय आवंटन करना पड़ा।

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