
नई दिल्ली। देश में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर दिल्ली के जोधपुर हॉस्टल में चल रही कोविंद कमेटी की बैठक खत्म हो गई है। बैठक में लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा- एक देश एक चुनाव पर अभी रिपोर्ट तैयार नहीं है। फिलहाल रिपोर्ट पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने कमेटी के सदस्यों से चर्चा की है। इसे लागू करने में होने वाली अड़चनों के बारे में बताया है। फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। अगर हमें दोबारा बुलाया जाएगा तो जाएंगे। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य नेता शामिल हुए थे।
इससे पहले, 23 सितंबर को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में केंद्र सरकार द्वारा बनाई हाई लेवल कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें फैसला लिया गया था कि एक साथ चुनाव के मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के विचार लिए जाएंगे। पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में 2 सितंबर को बनी इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
साथ चुनाव के क्या फायदे-नुकसान, 7 सवालों के जवाब
पूरे देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर बहस छिड़ी हुई है। एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव साथ ही होंगे। क्या वाकई इस सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लाया जा सकता है? साथ चुनाव के क्या फायदे-नुकसान हैं? इन 7 सवालों के जवाब जानने के लिए
‘एक देश एक चुनाव’ क्या है, PM मोदी क्यों लागू करना चाहते हैं
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ सिर्फ चर्चा का विषय नहीं बल्कि भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं। इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है।’ नवंबर 2020 में PM नरेंद्र मोदी ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बात कही थी। वन नेशन वन इलेक्शन क्या है? PM मोदी इसे क्यों लागू करना चाहते हैं?