पीलीभीत : शासन नियमों को ठेंगा दिखाकर की जा रही मनरेगा में मनमानी

दैनिक भास्कर ब्यूरो

पीलीभीत। केंद्र सरकार की मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का दीमक लग चुका है और नियम विरुद्ध तरीके से अधिकारी- ठेकेदार मिलीभगत के चलते करोड़ों रुपए का खेल कर रहे हैं। मनमाने तरीके से धनराशि निकालकर बंदरबांट की जा रही है और जिसके चलते ब्लॉक स्तर पर 60-40 का रेशियो दम तोड़ते दिखाई दे रहा है।

रेवड़ी की तरह बांटी जा रही मनरेगा की धनराशि

विकासखंड पूरनपुर की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के अंतर्गत हो रहे विकास कार्यों में धांधली नई बात नहीं है। लेकिन इस बार ग्राम निधि और अन्य मदों को छोड़कर मनरेगा योजना में एफटीओ की लूटमार मची हुई है। बिचौलियों के इशारे पर अधिकारी मनरेगा योजना के नियमों को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं और 60-40 का रेशियो भूल कर कथित ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की साझा योजना मनरेगा में भारी भरकम बजट को ठिकाने लगाने की जल्दबाजी में अधिकारी नियम कायदे पूरी तरह ताक पर रख चुके हैं। वार्षिक रेशियों पर नजर डाली जाए तो बड़े वित्तीय घोटाले के आंकड़े साफ दिखाई दे रहे हैं। ग्राम पंचायत गोपालपुर, रघुनाथपुर, देवीपुर, उदय करनपुर, अजीतपुर बिल्हा और कबीरगंज आदि में 60-40 के रेशियो की धज्जियां उड़ाने में अधिकारी व ठेकेदार कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

काम कराने के नियमों को जाने

मनरेगा योजना के अंतर्गत होने वाले विकास कार्यों में नियमता वित्तीय वर्ष की कार्य योजना में विकास कार्य शामिल किए जाते हैं। फिर अकाउंटेंट वित्तीय वर्ष की कार्य योजना का मिलान करने के बाद खंड विकास अधिकारी की स्वीकृति मिलती है। फिर कहीं वर्ग आईडी जारी होनी चाहिए। लेकिन मनरेगा के कार्यों में चल रही धांधली के जलते पक्के कामों की आईडी निकाल कर मनरेगा की धनराशि को ठिकाने लगाने का काम तेजी से चल रहा है।

पंचायत के प्रस्ताव पर दूसरे लोग कर रहे काम

मृणाल सिंह, डीसी का कहना है कि मनरेगा योजना में विकास कार्यों की लूट इस कदर है कि ग्राम पंचायत से प्रस्ताव ब्लॉक स्तर पर मंगाने के बाद बाहरी लोगों को कमीशन तय करने के बाद काम देने की होड़ मची है। इसके बाद भुगतान करने में भी बेईमानी और मक्कारी हावी है। कई ग्राम प्रधान बरसों से फंसे हुए भुगतान को लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। इधर, दूसरी ओर प्राइवेट कर्मचारियों के इशारे पर अधिकारी रातों-रात ऑनलाइन भुगतान का डोगल लगाने से परहेज नहीं करते। करीब एक माह पूर्व भुगतान को लेकर तमाम ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने हंगामा भी किया था। मनमाने तरीके से आईडी जारी करने से लेकर भुगतान को कराने के लिए पंचायत सचिव और तकनीकी सहायक के साथ ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित करने के लिए प्राइवेट कर्मचारी लगाए गए हैं। इस काम को सही तरीके से अंजाम देने के लिए सचिव एवं टीए नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। भ्रष्टाचार की कार्ययोजना इस ग्रुप से परवान चढ़ रही है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें