
-कई प्रत्याशियों के चेहरे खिले तो कई के सपने हुए धड़ाम
भास्कर समाचार सेवा
मेरठ/सरधना। निकाय चुनाव की घोषणा होते ही चुनावी पारा चढ़ गया है। सभी प्रत्याशी अपना-अपना गणित जनता को समझाने में लग गए हैं। सरधना नगर पालिका की बात करें तो यहां अधिकतर मुस्लिम प्रत्याशी रहा है, लेकिन इस बार चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने की उम्मीद है।
आरक्षण घोषित होते ही कई प्रत्याशियों के चेहरे खिल उठे तो कई को झटका लगा है, जिससे चुनाव बड़ा ही दिलचस्प हो गया है। प्रत्याशियों ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। आरक्षण घोषित होने से पहले ही सरधना नगर में कई प्रत्याशी अपनी ताल ठोक रहे थे और जगह-जगह नुक्कड़ सभा कर अपने पक्ष में चुनाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।
भाजपा व सपा के बीच होगी कांटे की टक्कर
दावेदारी की बात करें तो सरधना नगर में भाजपा की तरफ से पंकज जैन, मानिक चंद, जयंत, डॉ. महेश सोम ने ताल ठोकी हुई हैं। जिसमें अधिक संभावनाएं मानिक चंद जैन और पंकज जैन की मानी जा रही हैं। समाजवादी पार्टी से वर्तमान चेयरपर्सन सबीला अंसारी इस बार भी मजबूती से अपनी दावेदारी पेश करती नजर आ रही हैं, जिस तरह का समीकरण बनता जा रहा है, उससे अंदाजा यहीं लगाया जा रहा है कि इस बार भी समाजवादी पार्टी व भाजपा प्रत्याशी में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। चेयरपर्सन पति निज़ाम अंसारी अपने सरल स्वभाव की वज़ह काफी लोकप्रिय है।
ये प्रत्याशी बिगाड़ सकते है खेल
पूर्व चेयरमैन असद गालिब इस बार भी सामान्य में अपनी मजबूती पेश करते नजर आ रहे हैं। जनता में असद गालिब की लोकप्रियता काफी ज्यादा है, यदि वह अपने परिवार की किसी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारते हैं तो सरधना चुनाव और भी ज्यादा दिलचस्प होगा। दूसरी ओर, नवाब परिवार से ताअल्लुक रखने वाले एनुद्दीन शाह भी चुनाव में अपना बड़ा रोल अदा कर सकते हैं। सामान्य होने के कारण यदि वह किसी महिला प्रत्याशी को उतारते हैं तो सरधना चुनाव बड़ा ही रोमांचक होने की उम्मीद है। एनुद्दीन शाह का बेबाक अंदाज युवाओं में काफी लोकप्रिय है।
पुरूष मतदाता 28675
महिला मतदाता 26864
कुल मतदाता 55539
महारथियों का समीकरण गड़बड़ा, सपने टूटे
मेरठ। मेरठ में इस बार नगर निगम का मेयर एससी वर्ग का बल्कि, ओबीसी वर्ग का होगा। सोमवार को लखनऊ में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने प्रदेश के 14 नगर निगमों, 200 नगर पालिका व 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षण की घोषणा कर दी। मेरठ नगर निगम में मेयर की सीट ओबीसी की घोषणा होने से मैदान में उतरने वाले कई प्रत्याशियों का गणित बिगड़ गया है, जो इस सीट को सामान्य वर्ग का सपना संजोए हुए थे। पिछली बार मेयर की सीट रिजर्व कोटे से थी। जिसमें बसपा से सुनीता वर्मा जीती थी। इस बार ओबीसी के कोटे में जान से चुनाव में उतरने वाले महारथियों को समीकरण गड़बड़ा गया है। कुछ महारथी तो चुनाव मैदान में उतरने का सपना संजोए बैठे थे, लेकिन अब उनका आंकड़ा पूरी तरह धराशायी हो गया है।