बाढ़ के बाद रैट फीवर का कहर, 14 दिन में केरल में 43 मौत , अलर्ट जारी

भीषण बाढ़ का सामना कर चुके केरल को अब रैट फीवर से जूझना पड़ रहा है। सोमवार को रैट फीवर से दो और लोगों की मौत होने के बाद पिछले तीन दिनों में इससे मरने वालों की संख्या नौ हो गई है।

इसे देखते हुए राज्य में तीन हफ्ते के लिए हाई अलर्ट लागू कर दिया गया है। कोझिकोड और पथनमतिट्टा जिलों में 71 और लोगों में इस बीमारी के लक्षण मिले हैं।

क्या है बीमारी

यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है और बाढ़ के दौरान इसका खतरा बढ़ जाता है। राज्य भर में 13800 लोगों ने विभिन्न बुखार का इलाज कराया है। 11 रोगियों में डेंगू की पुष्टि हो गई है जबकि 21 का मामला संदिग्ध है।

बाढ़ के पानी के संपर्क में आए 20 लाख लोग

कासरगोड जिले को छोड़कर बारिश और बाढ़ से राज्य के अन्य सभी 13 जिले प्रभावित हुए हैं। राज्य में लगभग 20 लाख लोग बाढ़ के पानी के संपर्क में आए हैं। सरकार को लोगों से उपचारात्मक कदम उठाने के लिए कहा है।

बाढ़ के कारण पैदा हुई है स्थिति

स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने एक समीक्षा बैठक कहा, ‘घबराने की कोई जरूरत नहीं है.ऐसे मामले बाढ़ के कारण बढ़ गए हैं। सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं का भंडारण कर दिया गया है।’

मौसम विभाग ने जारी की थी गंभीर चेतावनी

केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि भारत मौसम विभाग ने पिछले महीने केरल के लिए गंभीर चेतावनी जारी की थी। केंद्र ने विभाग के ऊपर लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।

रैट-फीवर के लक्षण
तेज बुखार
सिरदर्द
शरीर में दर्द
पेट में दर्द
उल्टियां होना

रैट-फीवर के बुरे प्रभाव इन अंगों पर
किडनी पर
दिमाग पर (मेनिनजाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है)
लीवर पर (लीवर फेल हो सकता है)
सांस लेने में परेशानी हो सकती है. सांस की नली से जुड़े कई रोग हो सकते हैं.

केरल सरकार की ओर से हो रहे हैं रोकथाम के उपाय
बीमारी के कहर को देखते हुए राज्य सरकार ने लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने का अलर्ट जारी किया है. स्वास्थ्य मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि राज्य सरकार सभी ज़रूरी और एहतियाती कदम उठा रही है. उन्होंने बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाले लोगों से अपील की है कि वह अतिरिक्त निगरानी रखें. उन्होंने कहा कि जो लोग सफाई के काम में लगे हैं उन्हें ‘डॉक्सीसाइलिन’ की खुराक ले लेनी चाहिए. हालांकि उन्होंने लोगों को खुद से दवा लेने से मना किया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों और व सरकारी अस्पतालों में ज़रूरत से ज़्यादा दवाएं मौजूद हैं.

सबसे ज्यादा खतरा इन्हें
यह रोग तेजी से और आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है. इसके मामले में इतनी तेजी आने की यह भी वजह है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि शनिवार तक राज्य में 216 राहत कैंप में रह रहे हैं. जिनमें केरल के 19,524 नागरिक मौजूद हैं. जिनपर इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा मंडरा रहा है.

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