इटावा में अर्से बाद दिखा सपा का भरत मिलाप…

दिल मिले या न मिले, पर गले जरूर मिल लिए शिवपाल- राम गोपाल, एकजुटता दिखाने की कोशिश हुई कामयाब

योगेश श्रीवास्तव 
लखनऊ। खोया जनाधार हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आखिरकार  इटावा में भरत मिलाप करा दिया। अर्से से अहंम की लड़ाई लड़ रहे सपा नेता राम गोपाल यादव एवं शिवपाल यादव आज एक मंच पर दिखे। मौका था सपा महासचिव राम गोपाल यादव के जन्मदिन समारोह का। इस दौरान यह दोनों ही कद्दावर नेताओं ने एक दूसरे आर्शिवाद लिया, केक कटवाया खिलाया, और एकजुटता की सारी औपचारिकताएं भी दिखी। सवाल यह है कि यदि सब कुछ ठीक है तो क्या शिवपाल कार्यक्रम के फौरन बाद वह लखनऊ के लिए न रवाना हो गए और राम गोपाल यादव भी मीडिया से बचते नजर आए।
सपा में राम गोपाल यादव एवं शिवपाल यादव के बीच अहम को लेकर चल रही खीचतान जगजाहिर है। शायद इसी कारण सपा  की गत लोकसभा एवं विधानसभा में इतनी दुर्गति हुई। लेकिन अब ऐसा न हो इसलिए कुनबे को एकजुट करने का हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज सपा के गढ़ इटावा के तीन सितारा होटल में राम गोपाल यादव का 72 वां जन्मदिन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में यह दिखाने की पूरी कोशिश की गयी कि सपा कुनबा एक है आपस में कोई मतभेद नहीं है। कार्यक्रम में पहुंचे शिवपाल यादव ने अपने बड़े भाई राम गोपाल का पैर छूकर आर्शिवाद लिया। इतना ही नहीं दोनों ने मिलकर केक काटा और एक दूसरे को खिलाकर बधाई दी। इस दौरान शिवपाल यादव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा हमला भी बोला और एकजुट होकर इस सरकार को उखाड फेकने का आहावन भी किया।
खास बात यह है  कि यह आयोजन पूरी तरह से खत्म भी नहीं हो पाया था कि बीच में शिवपाल यादव उठकर चल दिए। सूत्रों की माने तो वह इटावा से सीधे लखनऊ आ गये। इस दौरान उन्हें किसी ने रोका क्यो नहीं? जबकि अन्य नेता काफी  देर तक रुके रहे। सभी लोग एक परिवार के थे करीब दो साल बाद पूरा परिवार एकजुट हुआ था। आपस में खुलकर बात चीत भी क्यों नहीं हुई। वही राम गोपाल यादव भी मीडिया से बचते नजर आये उन्होनें परिवार की एका के बारे में कुछ बोलने से परहेज किया। इस पूरे घटनाक्रम से यही प्रतीत होता है कि मंच पर परिवार की एकजुटता दिखाने की कोशिश की गयी। जिससे यह संदेश जाए अब सपा परिवार एक हो गया है। आपस में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है।
लेकिन शिवपाल यादव अपने पुराने जख्म कैसे भूल पायेंगे। उनका पूरा परिवार एक साथ था बल्कि वह अलग थलग पड़े थे। यहां तक कि उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य के तमात प्रयास किये लेकिन वह कारगर नहीं हुए। यह बात  भी सच है कि शिवाल की मेहनत के कारण ही सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव तीन बार और अखिलेश यादव एक बार सीएम बने। इसके बावजूद शिवपाल यादव को क्या मिला वह इसे कैसे भुला पायेंगे।
वहीं अखिलेश एवं राम गोपाल यादव ने भी शिवपाल को किनारे कर पार्टी को मजबूत करने के लिए अनगिनत प्रयास किये पर वह कारगर नहीं हुए। लिहाजा एकजुट होना ही मजबूरी बन गयी थी।
डिफेसिव मूड में आये शिवपाल 
सपा परिवार में विद्रोह के बाद बीते दो साल में शिवपाल यादव ने नई राजनीतिक पारी खेलने के लिए अनगिनत प्रयास किये लेकिन कारगर नहीं हुए। दूसरे दल भाजपा, कांग्रेस एवं बसपा में जाने की चर्चा तेज हुई लेकिन वह परवान नहीं चढ़ सकी। नई पार्टी बनाने के लिए ताना बाना बुना वह भी धराशाही हो गया। ऐसे में शिवपाल यादव को यह ऐहसास हो गया कि अब विरोध करने से कोई फायदा नहीं।
सपा में ही रहकर और पार्टी मुखिया अखिलेश यादव सहित सभी सदस्यों से सबंध सुधार कर ही कुछ हासिल किया जा सकता है। उन्हें यह भी आभास हो गया कि अखिलेश यादव की सरपरस्ती में ही आगे बढऩे का मौका मिल सकता है, क्योंकि पूरा परिवार एवं पार्टी उनके साथ है। ऐसे में शिवपाल यादव के समक्ष सारे मतभेद भुलाकर एक ममंच पर आना मजबूरी बन गयी थी। शायद इसीलिए शिवपाल यादव आज अपने बड़े भाई राम गोपाल  यादव के जन्मदिन समारोह में आपसी मतभेद के बावजूद  के शामिल हुए।

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