
पोस्टमार्टम के बारे में हम सभी यही जानते हैं की जब व्यक्ति की मृत्यु अकाल होती है तो उसकी जांच करने के लिए मृत व्यक्ति के शरीर का पोस्टमार्टम किया जाता है वहीं ये बता दें की इस दौरान मृत व्यक्तियों के शरीर का परीक्षण किया जाता है जिसमें एक एक चीज बारीकी से जांच करके ये पता लगाने का कोशिश किया जाता है की आखिर उसके मृत्यु के पीछे की वजह क्या है। पोस्टमार्टम के बारे में ये बातें तो सामान्य है जो लगभग सभी लोगों को पता होता ही है लेकिन वहीं इसे लेकर कुछ बातें ऐसे हैं जो आप सभी को पता नही होगी। आज हम आपको कुछ ऐसी ही जानकारी देने जा रहे हैं।
दरअसल आपको ये भी बता दें की पोस्टमार्टम करने से पहले उस व्यक्ति के सगे संबंधियों से इस बात की इजाजत ली जाती है जी हां और कहा जाता है की अगर किसी मृत व्यक्ति का पोस्टमार्टम करना हो तो वो उसकी मृत्यु के 6 से 10 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए। क्योंकि विशेषज्ञों का कहना होता है की अगर वो मृत व्यक्ति के शरीर का पोस्टमार्टम 6 से 10 घंटे के अंदर नहीं करते हैं तो तो ऐसे में उस व्यक्ति की मौत के कारण के बदलने की संभावना बनी रहती है लेकिन क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है की जब कभी किसी व्यक्ति की मृत्यु रात के समय अचानक से हो जाती है तो उस व्यक्ति का पोस्टमार्टम रात के समय ही पोस्टमार्टम किया जाता है? और अगर नहीं तो आखिर रात के समय पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया जाता। तो आज हम आपको इसी के बारे में विशेष जानकारी देने जा रहे हैं।
वैसे आपको बताते चलें की रात के समय में अगर किसी भी मृत व्यक्ति के शरीर का पोस्टमार्टम ना करने के पीछे एक बड़ी वजह है दरअसल डॉक्टरों का कहना है की अगर वो रात के समय ट्यूब लाइट एलईडी या फिर कृत्रिम रोशनी में मृत शरीर का पोस्टमार्टम करते हैं तो ऐसे में शव के शरीर पर लगे चोट के निशान लाल के बजाए बैगनी रंग के दिखने लगते हैं और इसकी वजह से ये पता करना मुश्किल हो जाता है की मृत शरीर पर चोट कहां कहां है और यही कारण है कि डॉक्टर्स रात के समय कभी भी कृत्रिम लाइट या फिर ट्यूब लाइट में पोस्टमार्टम नहीं करते हैं। वैसे जानकारी के लिए ये भी बता दें कि फॉरेंसिक साइंस में बैगनी रंग के चोट का कोई उल्लेख हमें देखने को नहीं मिलता।
इसके अलावा एक और भी कारण है जो धर्म से जुड़ा हुआ है जी हां कई धर्मों में कहा जाता है की रात के समय अंत्येष्टि नहीं की जाती है जिसकी वजह से कई लोग रात के समय मृत व्यक्तियों के शरीर का पोस्टमार्टम नहीं कर पाते है और अगर कभी किसी की रात में मृत्यु हो जाती है तो डॉक्टर रात के समय पोस्टमार्टम करवाने के बजाय वे लोग सुबह के टाइम पोस्टमार्टम करवाने का समय ले लेते हैं। क्योंकि माना जाता है की अगर कोई डॉक्टर रात के समय किसी मृत व्यक्ति के शरीर का पोस्टमार्टम कर दे और कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग अलग दिखाई दे तो ऐसे में उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
यही कारण है की पढ़ाई के दौरान ही ये फॉरेंसिक साइंस में छात्रों को इन सभी बातों की जानकारी दी जाती है।