जम्मू-कश्मीर में जी-20 की बैठक देख तिलमिलाया पाकिस्तान, आखिर तुर्कीय व सऊदी ने क्यों नहीं कराया रजिस्ट्रेशन?

 नई दिल्ली। भारत की ताकत का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है। देश दिन ब दिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है लेकिन कुछ देशों को भारत की तरक्की देख पेट में दर्द हो रहा है। दरअसल, भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। जब भारत ने जी-20 की आगामी बैठक के लिए जम्मू-कश्मीर को चुना तो पाकिस्तान के साथ उसके हितैषी चीन को भी मिर्ची लग गई। दोनों देशों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। जहां पाकिस्तान द्विपक्षीय का हवाला देकर विरोध कर रहा है वहीं चीन ने विवादित क्षेत्र बताते हुए इस बैठक से खुद को अलग कर लिया है।

आपको बता दें कि, चीन-पाकिस्तान के साथ दो और देश जी-20 की बैठक को लेकर अनाकानी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पीटीआई के मुताबिक, मुस्लिम देश तुर्कीय और सऊदी अरब ने जम्मू-कश्मीर में जी-20 बैठक को लेकर अभी तक पंजीयन नहीं कराया है। जिसकी वजह जम्मू-कश्मीर में बैठक को माना जा रहा है। रिर्पोट्स के मुताबिक, चीन की तरह ही तुर्कीय और सऊदी अरब ने जी-20 की बैठक में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कहा जा रहा है कि, जम्मू-कश्मीर में बैठक होने की वजह से इसमें शामिल न होकर वो एक संदेश देना चा रहे हैं। हालांकि, भारत ने इस पूरे मामले पर अभी तक कुछ कहा नहीं है। लेकिन इन तमाम खाड़ी एवं मुस्लिम देशों समेत पाकिस्तान के हितैषियों को जानना चाहिए कि भारत के लिए कश्मीर कितना मायने रखता है।

तुर्कीय एवं सऊदी ने क्यों नहीं कराया रजिस्ट्रेशन?

भारत जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा ही संवेदनशील है। भारत हमेशा से कहता आ रहा है कि स्वर्ग की धरती पर केवल हिंदुस्तान का दबदबा है। अगर किसी पर बात होगी तो वो पाकिस्तान द्वारा कब्जे पीओके पर, जो उस पर अवैध तरीके से कब्जा किए हुए है। हालांकि, तुर्कीय और सऊदी अरब हमेशा से कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर में होने वाले जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक होने से तीन दिन पहले तुर्कीय और सऊदी अरब का पंजीकरण न करना इस बात की तस्दीक करता है कि, वो जम्मू कश्मीर में बैठक को लेकर पाकिस्तान और चीन के साथ खड़े हैं। पीटीआई के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांह वेनबिन ने कहा, “चीन विवादित क्षेत्र पर किसी भी प्रकार की जी-20 बैठक आयोजित करने का दृढ़ता से विरोध करता है, हम इस बैठक से खुद को अलग करते हैं।”

हालांकि, चीन की तरह तुर्कीय और सऊदी अरब की ओर से किसी तरह की आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन जिस तरह इस पूरे मामले में दोनों देशों ने चुप्पी साधी है उसे यही लग रहा है कि वो इस बैठक से नदारद रहने वाले हैं। वहीं इस बैठक के लिए पंजीकरण 22 मई तक होने वाली है जिसकी जानकारी केंद्रीय पर्यटन सचिव अरविंद सिंह ने दी है।

किन देशों ने किया अब तक रजिस्ट्रेशन?

जी-20 की बैठक के लिए सदस्यों के अलावा कई देशों को आमंत्रित किया गया है। जिसमें बांग्लादेश, मिस्त्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई शामिल हैं। इस बैठक से जुड़े आधिकारियों ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर में आयोजित जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक के लिए मिस्त्र को छोड़ इन तमाम देशों ने पंजीकरण करा लिया है। जिसमें इनके देश के प्रतिनिधी भाग लेने के लिए आ रहे हैं।

कौन-कौन देश जी-20 में हैं शामिल?

जी-20, 20 देशों का समूह है। जिसमें दुनिया के 20 ऐसे देश शामिल हैं जो आर्थिक तौर पर मजबूत है। इस ग्रुप में विकसित और विकासशील दोनों देश ही शामिल हैं। भारत के अलावा, जी-20 में, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

बैठक के विरोध में क्यों तुर्कीय और सऊदी अरब?

दरअसल, भारत जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता है जबकि पाकिस्तान इसे अपना बताता है। इस मसले पर दोनों देशों के समर्थन में अपने-अपने देश हैं। तुर्कीय और सऊदी अरब दोनों इस मामले पर पाकिस्तान के साथ खड़े रहे हैं। तुर्कीय के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन जम्मू-कश्मीर को लेकर कई बार भारत के विरोध में बयान दे चुके हैं। साल 2020 के पाकिस्तान दौरे पर गए राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने पाक असेंबली में कहा था कि, कश्मीर जितना इस पाक के लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही तुर्कीय के लिए भी खास है। वहीं तुर्कीय ने साल 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से 370 एवं 35ए को हटाए जाने का भी खुलकर विरोध किया था। जिस पर भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि, जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है किसी बाहरी का बयान देश बर्दाशत नहीं करेगा। हालांकि, इस पूरे मामले पर सऊदी अरब ने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन मन ही मन वो पाक को समर्थन करता आया है।

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