हजारों करोड़ का इस्लामी बैंकिंग घोटाला, मंसूर खान को बचाने के चक्कर फंसे कई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी!

इस्लामिक बैंकिंग या हलाल निवेश’ के नाम पर ग्राहकों से अलग अलग योजनाओं के नाम पर धन जुटाकर धांधली करने वालों पर अब तेजी के साथ एक्शन शुरू हो गया है. दरअसल इस्लामी नियम-कायदों का हवाला देकर निवेश की धोखाधड़ी के मामले में CBI ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है. ये मामला ‘आई-मॉनेटरी एडवाइजरी’ बैंकिंग घोटालों से जुड़ा है, जिसके तहत 4000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई थी. अब इस मामले में शनिवार को CBI ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है. इस्लामी बैंक घोटाले के आरोपियों में कई बड़े अधिकारियों के नाम हैं.

आइजी हेमंत निंबालकर और एसपी अजय हिलोरी जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम भी इस चार्जशीट में बतौर आरोपी शामिल किए गए है. इन पर आरोप है कि इन्होंने कर्नाटक सरकार के राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर IMA के खिलाफ आई शिकायतों को नज़रअंदाज कर दिया था और इस मामले में की जा रही जाँच-पड़ताल बंद कर दी थी. साथ ही इस मामले में चल रही पूछताछ भी बंद कर दी गई थी.

CBI के अधिकारियों के मुताबिक चार्जशीट में IMA के प्रबंध निदेशक मोहम्मद मंसूर खान और बेंगलुरु नॉर्थ सब डिवीजन के तत्कालीन सहायक आयुक्त एलसी नागराज को भी आरोपी बनाया गया है. इन सभी ने रिजर्व बैंक और आयकर विभाग की ओर से बार-बार चेताए जाने के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी.

तत्कालीन डीएसपी  ईबी श्रीधर, कॉमर्शियल स्ट्रीट पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ एम रमेश और तब थाने के सब-इंस्पेक्टर रहे पी गौरीशंकर का नाम भी आरोपियों में शामिल है. कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस थाने में स्थित IMA इस्लामी बैंक के मुख्यालय को भी बंद कर दिया गया था. इसके निदेशकों निजामुद्दीन, नसीर हुसैन, नवीद अहमद, वसीम, अरशद खान और अफसर पाशा को भी आरोपी बनाया गया है.

आरोपी अधिकारियों ने कार्रवाई करने के बजाए कम्पनी को क्लीन चिट दे दी थी और साथ ही कहा था कि ये किसी भी गैर-क़ानूनी गतिविधि में लिप्त नहीं है. अपनी अवैध गतिविधियों को कम्पनी ने बेख़ौफ़ जारी रखा और दुष्परिणाम ये हुआ कि निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए डूब गए. आरोपी अधिकारियों ने इस वित्तीय धोखाधड़ी को जारी रखने की अनुमति देने के एवज में रिश्वत भी ली थी. CBI इस्लामी बैंकिंग घोटाले में 2 आरोप-पत्र पहले ही दायर कर चुकी है.

दरअसल ये घोटाला 2018 में सामने आया था. पता चला था कि ज्यादा ब्याज का प्रलोभन देते हुए कम्पनी मासिक योजना, शिक्षा योजना और विवाह योजना जैसी कई पोंजी स्कीमों के जरिए लोगों से धन इकट्ठा कर रही थी. वहीं जब बात इसका रिटर्न देने की आई तो मंसूर खान सब कुछ छोड़-छाड़ कर दुबई भाग गया था. भारत से भागने से पहले मंसूर खान ने एक ऑडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उसने खुदकुशी की धमकी दी थी. हालाँकि, जुलाई 2019 में भारत को उसके प्रत्यर्पण में सफलता मिली. फ़िलहाल वो गिरफ़्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में है.

पिछले साल भी खबर आई थी कि एसआईटी को दिए बयान में मंसूर खान ने कहा था कि उसने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम को 5 करोड़ रुपए भिजवाए थे. कयास लगाए गए थे कि मंसूर जिस पूर्व सीएम की बात कर रहा है, वो कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया हो सकते हैं. उनकी कैबिनेट में शामिल रहे रोशन बेग से इस मामले में पूछताछ भी हो चुकी है. उसने कई नेताओं को रिश्वत देने की बात कबूली थी. आई मॉनिटरी अडवाइजर  के संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान पर इस्लामिक बैंक के नाम पर हजारों मुस्लिमों को चूना लगाने का आरोप है. जिसकी जांच में जुटी CBI की टीम एक के बाद एक खुलासे कर रही है. खैर अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और क्या कुछ खुलासे होते हैं

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