कानपुर : केडीए का बुलडोजर गरजा, अरबो की जमीन कब्जामुक्त

कानपुर। भू-माफियाओं के साथ-साथ अभिजात्य वर्ग के सफेदपोश जो संगठित गिरोह के माध्यम से कानूनी दाव पेंच से प्राधिकरण की भूमि पर अवैधानिक कब्ज़ा करते है। उनके विरूद्ध भी सख्त विधिक कार्यवाही लगातार जारी है। इस कडी में 21 मई को शहर के सबसे पॉश इलाका स्वरूप नगर में स्थित भूखण्ड पर कब्जा लिये जाने के उपरान्त उपाध्यक्ष के निर्देशन में भूखण्ड संख्या 04, एच-ब्लाक, एचएनएस, शास्त्री नगर (फैक्ट्री एरिया स्कीम नं0–1) पर भी प्राधिकरण की पूर्ववर्ती संस्था कानपुर डेवलपमेण्ट बोर्ड द्वारा की गयी डीड मार्च 1958 में प्राविधानित शर्तों के उल्लंघन पर नियमानुसार प्राधिकरण द्वारा सोमवार को दोबारा कब्जा किया।

वही विजय नगर के बींचो बीच स्थित 13 हजार 988 वर्गगज जमीन पर कानपुर विकास प्राधिकरण ने दोबारा कब्जा ले लिया।केडीए वीसी अरविंद सिंह ने बताया कि मार्च 1959 को 22.27 एकड़ भूमि एच- ब्लॉक, एफडब्लू एरिया, स्कीम नं.-1, नारायनपुर में दिये जाने के लिए लक्ष्मी रतन कॉटन मिल्स के पक्ष में लीजडीड के तहत दी गई थी।डीड के तहत 22.27 एकड़ जमीन के अतिरिक्त 15 एकड़ जमीन मिल को और दी जानी थी। ऐसे में मिल को विजय नगर में दी गई। लेकिन इसकी कोई रजिस्ट्री या डीड नहीं बनाई गई। इसे केडीए ने जांच में डीड नियमों का उल्लंघन मानते हुए सोमवार को अपना कब्जा ले लिया।जमीन पर केडीए ने अपने स्वामित्व का बोर्ड लगाने के साथ ही ड्रोन सर्वे भी शुरू कराया। जमीन की कीमत 225 करोड़ रुपए आंकी गई है। केडीए अधिकारियों के मुताबिक, यहां आवासीय या फिर कॉमर्शियल योजना लाई जा सकती है।

केडीए कर्मचारी बर्खास्त, डीड हुईं निरस्त

कानपुर विकास प्राधिकरण की जूही योजना में फर्जी दस्तावेजों के सहारे छह भूखंड की फ्री होल्ड डीड कराने वाले कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया। केडीए कार्रवाई से हड़कंप, हालांकि, यह कर्मचारी पहले से ही निलंबित चल रहा था. इसके साथ ही केडीए उपाध्यक्ष ने संबंधित भूखंडों की डीड निरस्त करने के साथ इसे आम जनता के हित में उपयोग लाने के निर्देश दिए हैं।भूखंडों की फर्जी दस्तावेजों के सहारे फ्री होल्ड डीड का मामला सामने आने के बाद प्रथम श्रेणी लिपिक कंचन कुमार गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराते हुए निलंबित कर दिया गया था।

इस मामले की जांच अपर सचिव डॉ. गुडाकेश शर्मा पास थी केडीए प्रवक्ता एसबी राय की तरफ से बताया गया कि जांच के दौरान आरोपी लिपिक कंचन कुमार गुप्ता एक बार भी जांच अधिकारी के सामने नहीं आया. इसके बाद एक्शन लेते हुए कंचन कुमार गुप्ता को प्राधिकरण की सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

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