बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और पांच अन्य को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें तत्काल जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस रोहित देव और जस्टिस अनिल पानसरे की बेंच ने उन्हें तत्काल रिहा करने का भी आदेश दिया है। पांच साल पहले महाराष्ट्र की एक लोअर कोर्ट ने माओवादी से लिंक मामले में उन्हें और अन्य पांच को दोषी ठहराया था। कोर्ट ने उन सभी को UAPA के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ साईंबाबा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
पांच अन्य दोषियों को भी किया बरी
हाईकोर्ट ने मामले में पांच अन्य दोषियों महेश तिर्की, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय एन. तिर्की को भी बरी कर दिया है। पांच आरोपियों में से एक पांडु नरोटे की डेढ़ महीने पहले मौत हो गई थी। वह 33 साल के थे और उन्हें स्वाइन फ्लू था। उनके वकीलों ने नागपुर सेंट्रल जेल पर समय पर हेल्थ सुविधा नहीं देने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने इस सभी को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए, जब तक इन वे किसी अन्य मामलों में आरोपी न हो।
2013 में जीएन साईंबाबा की गिरफ्तारी हुई थी
2012 में साईंबाबा, जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र हेम मिश्रा, पूर्व पत्रकार प्रशांत राही समेत अन्य दो पर एक प्रतिबंधित माओवादी संगठन रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ संबंध होने के आरोप लगे थे। जिसके बाद 2013 में उन सभी को गिरफ्तार किया गया था। साईंबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज के प्रोफेसर थे। 2014 में गिरफ्तारी के बाद DU के रामलाल आनंद कॉलेज ने प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को सस्पेंड कर दिया था। पुलिस का दावा था कि उनके पास से नक्सल साहित्य बरामद हुआ था। 23 दिसंबर 2015 साईंबाबा ने भी सरेंडर कर दिया था।