पश्चिम बंगाल विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ एंटी रेप बिल

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को ममता बनर्जी सरकार द्वारा लाए गए बलात्कार विरोधी ‘अपराजिता’ विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही, बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से निपटने वाले केंद्रीय कानूनों में संशोधन लाने वाला पहला राज्य बन गया।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘ऐतिहासिक’ और ‘आदर्श’ बताते हुए कहा कि यह विधेयक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि है, जिसकी पिछले महीने सरकारी आरजी कर मेडिकल सेंटर एवं अस्पताल में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी।

विधेयक, ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024’ में बलात्कार और यौन अपराधों के लिए दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इससे पहले, विधेयक के गुण-दोष पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता (एलओपी) शुभेंदु अधिकारी से राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से विधेयक पर अपनी सहमति देने का आग्रह करने को कहा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, “इस विधेयक के माध्यम से हमने केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने का प्रयास किया है। बलात्कार मानवता के खिलाफ अभिशाप है, ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा, “विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, उसके बाद इसे लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। हम सीबीआई से न्याय चाहते हैं और दोषियों को फांसी की सजा चाहते हैं।” ममता बनर्जी ने कहा, “उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर असामान्य रूप से अधिक है। जबकि पश्चिम बंगाल में प्रताड़ित महिलाओं को अदालत में न्याय मिल रहा है। बीएनएस पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया,

हम चाहते थे कि नई सरकार के गठन के बाद इस पर चर्चा हो।” इस बीच, भाजपा ने विधेयक का स्वागत किया, लेकिन कहा कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए सभी कड़े प्रावधान हैं। पार्टी नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी ने भी विधेयक में सात संशोधनों की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया।

अधिकारी ने कहा, “हम इस (बलात्कार विरोधी) कानून का तत्काल क्रियान्वयन चाहते हैं, यह आपकी (राज्य सरकार) जिम्मेदारी है। हम परिणाम चाहते हैं, यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम कोई विभाजन नहीं चाहते हैं, हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री का बयान आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको यह गारंटी देनी होगी कि यह विधेयक तत्काल लागू होगा…”

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