नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा और वोटिंग होगी। हालांकि आंकड़ों का गणित साफ तौर पर एनडीए के पक्ष में दिखता है और सरकार को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा, पर विपक्ष इसे विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने और सवाल पूछने के बड़े अवसर के रूप में देखता है, जबकि सरकार की कोशिश इसके जरिये यह दिखाने की होगी कि विपक्षी एकता उतनी मजबूत नहीं है, जितनी कि यह दिखाई जा रही है। इसी के तहत सरकार की कोशिश विपक्षी खेमे में सेंध लगाने की है।
In democracy, voice of the Opposition should be heard first even if it consists of one person. Even we (Shiv Sena) will speak when it is required. During voting, whatever Uddav Thakachey directs us, we will do: Sanjay Raut, Shiv Sena on #NoConfidence motion pic.twitter.com/rnAVQLwvfo
— ANI (@ANI) July 19, 2018
विपक्ष ने बजट सत्र के दौरान भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था, पर तब सरकार इसे स्वीकार करने के मूड में नहीं दिखी, लेकिन संसद के मानसून सत्र में भी जब विपक्ष की ओर से ऐसी ही कोशिश हुई तो सरकार अनपेक्षित ढंग से इसके लिए तैयार दिखी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव के लिए दिए गए नोटिस को मंजूरी दे दी।
आखिर इसकी वजह क्या है?
इस बारे में बीजेपी के एक पदाधिकारी का कहना है कि बजट सत्र के दौरान एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की पहल तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वायएसआर कांग्रेस जैसे छोटे दलों ने की थी, लेकिन इस बार कांग्रेस इस मामले में विपक्ष की अगुवाई करती दिख रही है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि इसे स्वीकार किया जाए।
हालांकि बीजेपी आंकड़ों के लिहाज से अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है और उसने इस पर हैरानी भी जताई कि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पर पहल क्यों की, जबकि आंकड़ों का गणित उसके पक्ष में नहीं है। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा, ‘मुझे हैरानी हो रही है कि विपक्ष यह प्रस्ताव क्यों लाया, जबकि उसे पता है कि बीजेपी के पास अपने बलबूते ही बहुमत है और आज 21 राज्यों में एनडीए की सरकार है।’
यहां उल्लेखनीय है कि लोकसभा की सदस्य संख्या इस वक्त 534 है, जिसमें एनडीए के पास कुल 314 सीटें हैं। इनमें से अकेले बीजेपी के पास 273 सीटें हैं। यानी सदन की मौजूदा सदस्य संख्या के लिहाज से एनडीए को बहुमत के लिए 268 सीटों की दरकार होगी, जबकि उसके पास इससे पांच अधिक सीटें हैं।
वहीं, कांग्रेस के 48, तृणमूल कांग्रेस के 34 और टीडीपी के 16 सांसदों सहित विपक्षी गठबंधन के खाते में महज 147 सीटें हैं, जबकि AIADMK के 37, BJD के 20 और टीआरएस के 11 सांसदों सहित कुछ अन्य सांसदों के बारे में अभी तय नहीं है कि वे किस तरफ रहेंगे।
अगर मोदी सरकार इनका वोट अपने पक्ष में लेने में कामयाब होती है तो यह विपक्षी एकता के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है और यदि ये तटस्थ रहते हैं और मतदान नहीं करते हैं तब भी एनडीए सरकार विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पर पड़ने वाले वोटों को कम करने में कामयाब होगी।