गोरखपुर । कोरोना संक्रमण से बचाव को एक कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किये जा रहे सोशल डिस्टेंसिंग की बंदिशों को तोड़ना अब आसान नहीं होगा। पांच मीटर दायरे में दो से तीन लोगों के इकट्ठा होने पर यह डिवायस न सिर्फ सोशल डिस्टेनसिंग की अनदेखी करने वालों को आगाह करेगा बल्कि पुलिस को भी मौका-ए-वारदात पर पहुंचने का सिग्नल देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आशोका इंस्टिट्यूट के युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया ने सोशल डिस्टेनसिंग की अनदेखी का काट खोज निकाला है। इस युवा ने एक स्मार्ट सोशल डिस्टेंस अलार्म बनाया है। यह न सिर्फ 05 मीटर के दायरे में 02 से 03 लोगों के इकट्ठा होने पर उन्हें आगाह करेगा बल्कि भीड़ वाली जगह की लोकेशन के साथ पुलिस चौकी और थाने पर ड्यूटी बजा रहे सुरक्षाकर्मियों को भी सूचनाएं देगा। पुलिस के आने तक यह स्मार्ट अलर्ट भीड़ के रूप में जमा हुए लोगों को भी एक्टिव होकर स्पीकर-ऑडियो के माध्यम से आपसी दूरी मेंटेन करने की हिदायत देता रहेगा।
ऐसे करेगा काम
सड़क के एक कोने में लगाया गया स्मार्ट सोशल डिस्टेंस अलार्म के 05 मीटर के दायरे में 02 से 03 लोगों के इकट्ठा होने या सोशल डिस्टेंसिंग की बंदिशों के टूटने पर उपरण में लगा एक्टिव हो जाएगा। आलर्म बजने लगेगा। यह उपकरण में लगे सेंसर से संभव होगा। सेंसर के रेंज में एक साथ कई लोगों के आने पर स्वतः एक्टिव होगा। इसके साथ ही डिवाइस में लगे स्पीकर ऑडियो भी ऑन हो जाएंगे और लोगों को दूरी बनाए रखने को आगाह करना शुरू कर देगा।
तत्काल मिलेगी पुलिस को सूचना
इस डिवाइस में पुलिस चौकी और थाने के नम्बर्स अपलोड होंगे। भीड़ अधिक होने पर सक्रिय डिवाइस इन दोनों नम्बर्स पर सूचनाएं देना शुरू करेगा। पुलिस चौकी और थाने में ड्यूटी बजा रहे सुरक्षाकर्मी भी एक्टिव हो जाएंगे। डिवायस द्वारा अलर्ट के साथ बताए गए लोकेशन पर पहुंची स्थानीय पुलिस आसानी से सोशल डिस्टेंसिंग की बंदिशों का पालन करवा सकेगी। यही नहीं, नजदीकी पुलिस थाने को तब तक अलर्ट करता रहेगा, जब तक भीड़ इकट्ठी रहेगी।
यह है विशेषता, इतना है खर्च
इस उपकरण में इंफ्रारेड सेंसर के अलावा डिस्टेंस सेंसर, वाइब्रेशन सेंसर और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया है। निर्माण में कुछ वेस्ट मैटेरियल का भी प्रयोग हुआ है। 15 दिन में तैयार होने वाले इस उपकरण में करीब 04 हजार रुपये का खर्च आया है।
यहां होगा कारगर
इस उपकरण को भीड़-भाड़ इलाकों के अलावा शाॅपिंग माॅल, चौराहों , गली-कूचों में इकट्ठा होने वाली भीड़ को आगाह किया जा सकता है। सुरक्षाकर्मियों को भी समय से सूचनाएं मिलने से सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराया जा सकेगा।
श्याम चौरसिया ने कहा
इस डिवायस को तैयार करने वाले श्याम चौरसिया का कहना है कि इस बंदी के दौरान अपने घर में छोटी लैब तैयार किया है। उसमें ही इस उपकरण को तैयार किया है। खाली समय में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए कई उपाय आ रहे थे, लेकिन यही सबसे सटीक और सार्थकता देने वाला उपकरण लगा।
कहते हैं जानकर
गोरखपुर क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिक केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक महादेव पाण्डेय का कहना है कि यह डिवाइस वर्तमान समय में सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करने में काफी सहायक हो सकता है। कोविड-19 से हो रहे संघर्ष में काफी धारदार साबित होगा। इसमें वे सारी विशेषताएं बताई जा रहीं हैं, जो सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करने में सहायक हैं।