Asian Games 2018 : पिता के बलिदान का बेटे ने किया सम्मान, “गोल्ड” जीतकर लहराया परचम

सुशील कुमार एशियन गेम्‍स में गोल्‍ड के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन उनके शुरुआती राउंड में ही बाहर हो जाने के बाद देश में जो निराशा फैली थी, बजरंग पूनियां ने उसे गोल्‍डन रंग से दूर कर दिया था. 65 किग्रा के फाइनल में जापान के ताकातानी को 11-8 के अंतर से हराकर खिताब इस युवा पहलवान ने गोल्‍ड मेडल जीता, लेकिन बजरंग के लिए जकार्ता में गोल्‍डन बॉय बनना आसान ही था, जितनी कड़ी चुनौती उन्‍हें वहां मुकाबले में मिली, उतनी ही चुनौतियों को वह पार करके वहां तक पहुंचे थे.

शुरुआती दिनों में परिवार की आर्थिक स्थिति की बजरंग की डाइट के अनुसार सही नहीं होने के कारण एक समय पिता बलवान ने बस का किराया बचाकर पहलवानी के दांव पेंच सीखकर अपने बेटे के लिए देसी घी दिया. जैसे तैसे बजरंग मैट पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गए तो एक समस्‍या और करीब तीन साल पहले उनके सामने आ गई. जब उनका चयन सोनीपत के साईं सेंटर में हो गया.

दरअसल चयन के बाद उनका रोज झज्‍जर से सोनीपत आकर ट्रेनिंग करना मुश्किल था, इसीलिए वह यहां अकेले रहकर प्रेक्टिस करने लगे, लेकिन अकेले रहने के कारण उनका काफी समय बाकी कामों के भी बर्बाद होने लगा, जिसका असर उनकी प्रैक्टिस पर साफ दिखने लगा था. ऐसे में उनके माता पिता सहित पूरे परिवार ने गांव छोड़ दिया और सोनीपत आकर रहने लगे.

Jakarta: Jakarta: India's wrestler Bajrang Punia with Uzbekistan's Khasanov Sirojiddin in the men's freestyle wrestling (65kg) qualification round at the Asian Games 2018, in Jakarta on Sunday, August 19, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI8_19_2018_000091B)

हालांकि बजरंग ने 2006 में महाराष्ट्र के लातूर में हुई स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद लगातार सात साल तक स्कूल नेशनल चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक उनके साथ रहा. 2009 में उन्होंने दिल्ली में बाल केसरी का खिताब जीता. इस उपलब्धि के बाद ही बजरंग का चयन भारतीय कुश्ती फेडरेशन ने 2010 में थाईलैंड में हुई जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप के लिए किया. बजरंग ने पहली बार विदेशी धरती पर धाक जमाकर सोने पर कब्जा किया.

2011 की विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी बजरंग ने फिर सोना जीता. 2014 में हंगरी में हुए विश्व कप मुकाबले में बजरंग ने कांस्य जीतकर अपने चयन को सही ठहराया.

और इसके बाद ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में बजरंग ने रजत पदक जीतकर धाक जमा दी. महज 20 साल की उम्र में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में चांदी जीतने वाले बजरंग ने पिछले साल सीनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में कोरिया के ली शुंग चुल को 6-2 से हराकर भारत को पहला स्वर्ण दिला दिया. उन्हें गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा है.

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