राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष

बहराइच l देश में बेटियों की आज हर क्षेत्र में भागीदारी है।  बेटियों और बेटों में भेदभाव उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आज़ादी के बाद से ही कई योजनाएं और कानून लागू किये गए। जिसका परिणाम है कि आज जनपद में महिला और पुरुष की संख्या लगभग बराबर है।
यह बातें अचल प्रशिक्षण केंद्र में बालिका दिवस के अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जयंत कुमार ने कही। उन्होंने बताया जागरूकता कार्यक्रम व लिंग जांच को अपराध की संज्ञा में लाने के बाद काफी बदलाव हुआ है। यह खुशी की बात है कि राष्ट्रीय पारिवारिक सर्वेक्षण 2019- 21 के अनुसार जनपद में 1000 पुरुषों पर 1012 महिलाएं हैं। बराबरी के इस अनुपात को बनाये रखने  के लिए सभी को सहयोग करना होगा । उन्होंने बताया कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ शिक्षा, ताकत व धन की देवी महिला का ही प्रतीक हैं जिन्हें सदियों से पूजा जा रहा है। फिर भी महिलाएं इन सभी से वंचित थीं। आज़ादी के बाद देश में काफी बदलाव हुए।  संविधान ने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया । इसी का परिणाम है आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर खड़ी हैं।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने बताया कि महिलाओं को बराबर का दर्जा देने के लिए कई प्रयास किये गए हैं। आज राशन कार्ड में मुखिया के तौर पर परिवार की महिला का नाम जोड़ा गया है। महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। राजनीतिक क्षेत्र से लेकर सभी क्षेत्रों में आज महिलाएं पुरुषों के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं हैं। बालिकाओं की शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य के लिए कन्या सुमंगला योजना संचालित की जा रही है।  जिसके तहत जनपद में 28945 बालिकाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
नोडल अधिकारी डॉ अजीत चंद्रा ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या एक अपराध है । पी.सी.पी.एन.डी.टी. यानी प्रसवपूर्व गर्भ लिंग जांच अधिनियम के तहत भ्रूण की जांच और इसमें सम्मलित सभी व्यक्तियों को अपराध सिद्ध होने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है।

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