बलूचिस्तान ने आजादी के लिए लिखी ट्रेन हाईजैक की कहानी… पाकिस्तान से की ये बड़ी मांग

Seema Pal

पाकिस्तान : बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैकिंग की घटना ने सभी को चौंका दिया है। ट्रेन को बलूचिस्तान के विद्रोही समूह ने हाईजेैक किया है। ट्रेन को एक सुरंग के पास खड़ी कर दिया है। जहां से एक किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तानी सेना आतंकियों से मुठभेड़ कर रही है। जानकारी के अनुसार, अब तक विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना के 30 जवानों को मार गिराया है। वहीं पाकिस्तान का दावा है कि सेना ने 16 आतंकियों को ढेर कर दिया है और 104 यात्रियों को बचा तक क्वेटा भेज दिया है।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बलूचों ने यात्री ट्रेन को हाईजैक क्यों किया और क्यों इनते यात्रियों की जान को खतरे में डाला। दरअसल, बलूचिस्तान ने ट्रेन को हाईजैक इसलिए किया है कि क्योंक पाकिस्तान उनके बलूचिस्तान को जबरन अपने देश में शामिल कर लिया है। अब पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर बलूचिस्तान में चीनी प्रोजेक्ट लाकर दोहन कर रहे हैं।

बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण प्रांत है, जो दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान में स्थित है। यह क्षेत्र अपनी भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन लंबे समय से यहां के लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ असंतोष और अलगाववादी भावनाओं से जूझ रहे हैं। बलूचिस्तान में अलगाववाद और आतंकवाद के मुद्दे की जड़ें गहरी हैं, और हाल ही में कुछ घटनाएँ, जैसे कि ट्रेन हाईजैकिंग, इन विवादों को और बढ़ा रही हैं।

बलूचिस्तान का इतिहास

बलूचिस्तान की जनसंख्या में अधिकांश लोग बलूच जाति से हैं, और वे अपनी संस्कृति, भाषा और पहचान को लेकर बहुत ही गर्व महसूस करते हैं। यह क्षेत्र पहले एक स्वतंत्र राज्य था, लेकिन 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान में शामिल हो गया। इसके बाद से ही बलूचिस्तान में स्थानीय लोग और विभिन्न समूहों ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग शुरू कर दी।

पाकिस्तान सरकार पर आरोप है कि वह बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है, और स्थानीय समुदायों को राजनीतिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर डाल रहा है। इस असंतोष के कारण बलूचिस्तान में समय-समय पर अलगाववादी आंदोलन उभरते रहे हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता प्राप्त करना है।

बलूचिस्तान के अलगाववादी और आतंकवादी समूह:

बलूचिस्तान में कई अलगाववादी और आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, जिनमें प्रमुख संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) और जमान बलूच संगठन शामिल हैं। ये संगठन पाकिस्तान सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की मांग करते हैं। उनका आरोप है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, और वहां के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।

इन अलगाववादी समूहों के कई उद्देश्यों में मुख्य रूप से स्वतंत्रता की मांग, पाकिस्तान से राजनीतिक स्वायत्तता, और बलूच संस्कृति और पहचान की रक्षा शामिल हैं।

इन समूहों द्वारा आतंकवादी गतिविधियाँ, जैसे कि हाईजैकिंग, हमले, बम विस्फोट, और सैन्यकर्मियों पर हमले किए जाते रहे हैं। इनका उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को यह दिखाना है कि वे अपनी स्वतंत्रता की मांग के लिए तैयार हैं, और अगर उनकी आवाज़ को दबाया गया तो वे हिंसा का सहारा लेंगे।

ट्रेन हाईजैक : यात्री बंधक

बलूचिस्तान में असंतोष का मुख्य कारण पाकिस्तान सरकार द्वारा बलूच लोगों की उपेक्षा है। पाकिस्तान सरकार द्वारा बलूचिस्तान में किए गए बड़े विकास परियोजनाओं जैसे ग्वादर पोर्ट और सीपीईसी जैसी योजनाओं को लेकर भी विरोध है। स्थानीय लोग इसे एक प्रकार से उनके संसाधनों का शोषण मानते हैं, जबकि पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इन परियोजनाओं से बलूचिस्तान का विकास होगा और वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा।

पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान के अलगाववादियों और आतंकवादियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों का इस्तेमाल किया है। इसके बावजूद, बलूचिस्तान में हिंसा और असंतोष की स्थिति बनी रहती है। पाकिस्तान सरकार का यह भी कहना है कि बलूचिस्तान में हिंसा का समर्थन विदेशी शक्तियाँ करती हैं, जो पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति को कमजोर करना चाहती हैं।

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। क्षेत्र में लगातार बढ़ती हिंसा, आतंकवाद, और अलगाववाद सरकार के लिए एक कठिन समस्या है। ट्रेन हाईजैकिंग जैसी घटनाएँ इसे और जटिल बनाती हैं, क्योंकि इससे न केवल सुरक्षा स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि भी दांव पर लग जाती है।

बलूचिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान सरकार को वहां के लोगों की संवेदनाओं और अधिकारों का सम्मान करना होगा, और एक ऐसा राजनीतिक समाधान खोजना होगा जो बलूचिस्तान के लोगों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करे।

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