लोकशाही की तानाशाही के आगे हमेशा बेबस रही नौकरशाही

-रानी नागर से पहले इस्तीफा दे चुके है अरूणाराय
-जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर दो आईएएस दे चुके है इस्तीफा
-गुजरात के दंगों के विरोध में भी एक आईएएस ने छोड़ी थी नौकरी

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। हाल ही में हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी रानी नागर ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था से आशंकित होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि हरियाणा की मनोहर खट्टïर सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। अपने इस्तीफे की वजह उन्होंने ड्यूटी के दौरान पर्याप्त सुरक्षा न होना बताया है। बीती ४ मई को उन्होंने अपने प्रशासनिक पद से इस्तीफा दिया है। यूपी के जिला गौतम बुद्ध नगर की मूल निवासी व हरियाणा कैडर की आईएएस.2014 अधिकारी रानी नागर द्वारा अपने कुछ उच्च अधिकारियों पर उत्पीडऩ व बहन सहित इन्हें जान को खतरे के विरोध में अन्तत: इस्तीफ ा देने पर पूर्व मुख्यमंत्री  बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि सरकार इसका तुरन्त उचित संज्ञान ले।

इस्तीफे के पीछे कारण सरकारी डयूटी पर व्यक्तिगत सुरक्षा को बताया गया है। रानी नागर ने अपना इस्तीफा ईमेल से मुख्य सचिव हरियाणा को इस्तीफ ा भेजा था। इसकी प्रति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव व निदेशकों को भेजी थी। रानी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों का हवाला देते हुए इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया है। रानी नागर कोई पहली महिला आईएएस अधिकारी नहीं है जिन्होंने पद से इस्तीफा दिया है। चार दशक से ज्यादा पहले एक अन्य महिला आईएएस अधिकारी अरूणाराय ने 1974 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के एक लबे समय बाद उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा था कि आईएएस सेवा में जो मुझे सिखाया गया उसके ठीक उलट जो मुझे सीखने के लिए मुझसे कहा गया उससे मैं सीखना नहीं चाहती थी।

इसी अभिव्यक्ति को आधार बताते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। रानी नागर से पहले  बीते ारल21 अगस्त 2019को आईएएस कन्नन गोपीनाथ ने जम्मूकश्मीर से धारा 370 हटने के बाद लगे लाकडाउन से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफें में  उन्होंने कहा था कि देश के एक हिस्से में इतने लंबे समय तक मूलभूत अधिकारों का निलंबन और अन्य राज्यों की प्रतिकिया न होना पीड़ादायक स्थिति है।

यह स्थिति निचले स्तर तक हो रही है। जो मुझे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है। जम्मू कश्मीर के ही मुद्दे पर पूर्व आईएएस शाह फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इन पर केन्द्र की ओर से कोई गंभीर प्रयास न करने का आरोप लगाकर इस्तीफा दिया था। अपने इस्तीफें में उन्होंने  लिखा था कि राज्य की विशेष पहचान का कपटपूर्ण हमलों और भारत के अति राष्टï्रवाद के नाम पर असहिष्णुता और नफरत की बढ़ती संस्कृति के खिलाफ है। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले जम्मूकश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन किया था।


इसी तरह कर्नाटक काडर के वरिष्ठï आईएएस अधिकारी एस.शशिकांत सैथिल ने बीते साल छह सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफ में उन्होनें कहा कि मुझे लगता है कि आज अभूतपूर्व तरीक से लोकतंत्र के संस्थानों को दबाया जा रहा है। उन्होंने अपने इस्तीफ में मौलिक अधिकारों के  ब्लाक होने की भी बात कही थी। उस समय स्थितियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने सिविल सर्विसेस में रहना अनैतिकता करार दिया था। वर्ष 2002 में आईएएस हर्ष मंदर ने अपने पद इस्तीफा दे दिया था। वह गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बाद राज्य सरकार की भूमिका से नाराज थे।

प्रशासनिक पद छोडऩे के बाद सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर इस समय काम कर रहे है। अब बात देश की इस्तीफा देने वाली पहली महिला आईएएस अरूणा राय की। जिन्होंने वर्ष 1974 में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के लंबे समय बाद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आईएएस सेवा में जो मुझे सिखाया गया वो करने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में इस सेवा में रहने का औचित्य नहीं है।

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