आजादी के 74 साल बाद भी मीरजापुर में लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं !

 प्रतिदिन टैंकर से प्रत्येक व्यक्ति को मिल रहा 25 लीटर पानी

– ऊंट के मुहं में जीरा ही साबित हो रहा टैंकर का पानी

मीरजापुर। आजादी के 74 साल बाद भी मीरजापुर में लोगों को पीने का पानी तक मुहैया नहीं है। यह हालात उस क्षेत्र में है जो नदियों, झीलों और झरनों से भरा पड़ा है। सूरज की पहली किरण के साथ यहां के लोगों की पानी के लिए जद्दोजेहद शुरू हो जाती है। हलिया ब्लाक के सीमांत (मध्य प्रदेश) गांव लहुरियादह के निवासियों के लिए पानी अनमोल बन गया है। पानी की एक-एक बूंद उनके लिए जान से भी प्यारी है। किल्लत का आलम यह है कि पहाड़ी के जलस्रोत सूख चुके हैं। धरती के नीचे का पानी सैकड़ों फीट नीचे है। बोरिंग कराना आम आदमी के कूवत के बाहर है।

ग्रामसभा ने पानी के लिए प्रत्येक ग्रामीण के परिवार के हिसाब से कार्ड बनाया है। पेयजल के लिए लोग पराधीन हैं। ग्रामसभा से प्रतिदिन तीन टैंकर पानी की आपूर्ति की जाती है। प्रतिदिन टैंकर से प्रत्येक व्यक्ति को 25 लीटर मिल रहा पानी भीषण गर्मी के दौर में ऊंट के मुहं में जीरा साबित हो रहा है।

तपिश बढ़ने के साथ बेचैनी भी बढ़ती जाती है। लहुरियादह के पानी की कहानी बताते हुए गांव के लोगों को गला भर आता है। गांव की हरीलाल, छोटकी कोल, सविता, रजनी देवी, चमेलिया देवी, बल्लू कोल, मिश्री कोल, अरूणा देवी व अर्चना देवी बताती हैं कि ग्राम पंचायत की ओर से प्रतिदिन तीन टैंकर से कार्ड के हिसाब से मिल रहा है। प्रति व्यक्ति 25 लीटर पानी से मुश्किल से गुजारा हो पा रहा है। सीमित मात्रा में पानी खर्च करना पड़ रहा है। नहाने-धोने में कोताही बरतनी पड़ रही है। खुदा न खास्त कोई मेहमान आ गया तो भोजन नहीं पानी के बारे में सौ बार सोचना पड़ता है। दूध से ज्यादे पानी की काफी हिफाजत करनी पड़ रही है। टैंकर से मिले पानी के खत्म होने पर इधर-उधर भटकना पड़ता है।

पूरी नहीं हुई लहुरियादह परियोजना

हलिया ब्लाक के लहुरियादह व भैसोड़ बलाय पहाड़ की पेयजल समस्या के मद्देनजर शासन ने चार वर्ष पहले करोड़ों रुपयों की लागत से पेयजल पाइप लाइन योजना के परियोजना की नींव रखी। लहुरियादह परियोजना आजतक पूरी नहीं हुई। परियोजना के तहत मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित भैसोड़ बलाय पहाड़ गांव में चार स्थानों पर जल निगम ने बोरिंग करवा कर ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया लेकिन बजट की कमी के चलते पाइप लाइन बिछाया ही नहीं गया। अधर में लटकी पेयजल परियोजना का ओवर हेड टैंक ग्रामीणों को तरसा रहा है। ग्राम प्रधान की माने तो पाइप लाइन से जोड़ कर परियोजना को चालू कर दिया जाए तो ग्रामीणों को पानी संकट से निजात मिल जाए।

क्या कहते हैं ग्रामप्रधान

लहुरियादह के ग्राम प्रधान कौशलेंद्र गुप्ता बताते हैं कि पेयजल संकट के मद्देनजर प्रतिदिन तीन टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। प्रति व्यक्ति को लगभग 25 लीटर पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। एक टंैकर पानी गौशाला के लिए अलग से दिया जाता है।

शासन से बजट की मांग

जल निगम के सहायक अभियंता संजय जायसवाल ने बताया कि अधूरी पड़ी पेयजल परियोजना को पूरा कराने के लिए शासन से बजट की मांग की गई है। बजट आते ही कार्य पूरा कर पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।

पहाड़ी झरनों ने भी छोड़ा साथ

लगभग ढाई दशक पहले लहुरियादह में पानी के मुख्य स्त्रोत भलुहयी, झिरिया दरी, चौधरिया पहाड़ी झरने थे। लेकिन समय के साथ झरनों से पानी निकलना बंद हो गया। हालांकि घंटे भर में भैरहवा झरने में 10 से 15 लीटर पानी अभी निकल रहा है।

चिंता, मेहमान न आए तो अच्छा…

लहुरियादह के पानी का संकट के गहरे होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांव के लोगों के रिश्तदार आने से गर्मी में कतराने लगते हैं। गांव वालों की माने तो वे भी चाहते हैं मेहमान नहीं आए तो अच्छा। क्योंकि घर आए मेहमान को भोजन परोसने की चिंता नहीं, पर पानी पिलाने के बारे में सौ बार सोचना पड़ता है।

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